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राशियाँ - गुण व् स्वभाव

Astrologer Usha Saxena

मेष राशी
मेष-भचक्र की प्रथम राशि, मेष राशि का स्वामी मंगल होता है। यह राशि मंगल ग्रह का मूलत्रिकोण भी है। इसका अर्थ यह होता, है कि यदि मंगल ग्रह मेष राशि में है तो मूलत्रिकोण राशि में होने से पर्याप्त प्रबल है। मेष राशि के 10 अंश पर सूर्य उच्च का होता है। शनि की यह नीच राशि है। नैसर्गिक रूप से यह राशि प्रथम भाव यानी लग्न का प्रतिनिधित्व करत...ी है। शरीर के अंगों में सिर, मस्तक पर अधिकार होता है। दशमभाव में विशेष प्रबल होती है।


प्रकृति से यह अग्नि राशि है। विषम व चर राशि है। पुरूष जाति, क्षत्रियवर्ण, उग्र स्वभाव। तथ्यपरक, लक्ष्य पर पूरा ध्यान, जल्दबाज, जिद्दी, बर्हिमुखी, स्पष्टता के गुण रहते है।


मंगल ग्रह साहस व ऊर्जा का कारक है सो इस राशि से प्रभावित व्यक्ति, भाव ऊर्जा से भरपूर दृढ़, उद्योगी, स्वेच्छाचारी रहता है। चुनौतियॉ स्वीकार करने में सदा अग्रणी व कर्मठ, उदाहरण के लिए किसी योजना को पूरा करने में इस राशि से प्रभावित जातक बड़े साहस व कर्मठता से उसे पूर्ण करके ही आराम की सॉस लेगा। प्रबंधन व नेतृत्व के गुण भूरपूर रहते है।


लग्न, दशमभाव में यह राशि होने पर कार्य, व्यवसाय का क्षेत्र, प्रंबधन, शल्यचिकित्सा, कारपोरेट एक्सीक्यूटिव, सेनाधिकारी, इंजीनियर, विशेषतया इलेट्रिकल, होटल संबधी कार्य, अस्पताल में कार्य, अग्नि व बिजली विभाग में या उससे संबधित कार्य अस्त्रशस्त्र संबधी कार्य, पुलिस विभाग, सेना सुरक्षा गार्ड जैसे कार्य भी रहता है।


इसके अतिरिक्त चर राशि होने के कारण यह राशि यदि दशमभाव, धन-स्थान, लाभस्थान में हो तो वार-वार कार्य, नौकरी बदलने या एक से अधिक कार्य करने या एक से अधिक कार्यो से लाभ की संभावना रहती है। परन्तु यह निर्णय दशमभाव के स्वामी की स्थिति को देख करना चाहियें। यदि दशमेष जन्मांग या नंवाश में स्थिर राशि में चला जाता है। तो कार्य बदलने की संभावना कम हो जाती है।


वृष राशि- गुण व् स्वभाव


वृष राशि - नैसर्गिक रूप से यह राशि कुन्डली के द्वितीय भाव धन स्थान का प्रतिनिधित्व करती है। वृष राशि का स्वामी शुक्र है जो सांसारिक सुख, भोग इत्यादि का कारक है। वृष राशि चन्द्र की उच्च राशि तथा मूलत्रिकोण राशि है। यह किसी ग्रह की नीच राशि नहीं है। शरीर के अंगो में मुख, कपोल कण्ठ पर अधिकार है यह स्त्री राशि है।


प्रकृति से यह भूमि राशि है। कुछ व...िद्वानों के मत से यह अर्द्धजल राशि है। सम व स्थिर राषि है दशमभाव के संर्दभ में चर या स्थिर राशि से आशय, फल कार्य-व्यवसाय के स्थिर रहने या वार-वार परिवर्तन से होता है। दशमभाव में स्थिर राशि रहने से कार्य व्यवसाय जल्दी जल्दी बदलने की संभावना कम रहती है। इस राशि के संर्दभ में परिवर्तन की संभावना बहुत ही कम रहती है। क्योकि यह राशि काफी कम क्रियाशील, आरामपसन्द समझ-बूझ कर काम करने वाली है। विदित हो कि अधिक समझबूझ कर काम करने वाले लोग आसानी से कोई खतरा मोल नहीं लेते है। इस राशि का स्वभाव हठी वल्कि दुर्दांत हठी है, इस राशि से प्रभावित व्यक्ति, भाव विचारों, कार्यो में कदाचित ही परिवर्तन करना हैं बल्कि नहीं करता है। यह राशि असुरक्षा से बहुत दूर रहती है। तात्पर्य यह कि नपातुला सुरक्षित कार्य विचार क्षेत्र इनकी प्राथमिकता होता है। काफी हद तक यह स्वार्थी व अर्न्तमुखी होती है। यह राशि बहुत व्यावहारिक सासांरिक कार्यो में दक्ष तथा सांसारिक सुख सुविधाओं को प्राथमिकता देने वाली होती है।


शुक्र सौर्दय, प्रसाधन, साजसज्जा, कला, संगीत, साहित्य, नृत्य, नाट्य सुख सुविधा के साधन सांसारिक सुख विलास का कारक है। अतः इस राशि के मुख्य कार्य व्यवसाय, आर्किटेक्ट, डिजाइंनिग, कला, संगीत, साहित्य, सिनेमा, थियेटर, सौर्दय प्रसाधन, वस्त्र, प्लास्टिक, सिल्क, कलात्मक वस्तुऐं वाद्यायंत्र है। आधुनिक सर्न्दभ में टी0वी0, आडियों, वीडियों कैसेट, वेव डिजाइनिंग, चित्रकला, मूर्तिकला इत्यादि है।


यह भूमि राशि है, अतः कृषि, बागवानी, फूलॉ का व्यापार या फूल उगाना, चीनी, चावल अनाजों का व्यापार भी इस राशि के क्षेत्र में आता है।


कुण्डली में गुरू से शुभ संबध होने पर ज्वैलर, बैंकर, उच्चकोटि के उद्योगपति, वाहनों के डीलर जैसे कार्य भी अनुकूल पाये जाते है। बड़े-बड़े कृषि फार्म जंगलात का कार्य भी चन्द्र से संबध होने पर होता है।


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मिथुन राशि- यह राशि नैसर्गिक कुण्डली के तृतीय स्थान, भ्रात-स्थान, पराक्रम स्थान की द्योतक है। मिथुन राशि का स्वामी बुध होता है। यह द्विस्वभाव राशि है, वायुतत्व है। राहु मिथुन में उच्च स्थान में होता है, केतु की यह नीच राशि है। शरीर के अंगों में इस राशि का कन्धों, बाहुओं, हाथों पर अधिकार है।


यह तोते के समान हरित वर्ण वाली पुरूष व विषम राशि है। ब...ुध के स्वामित्व वाली यह राशि सबसे अधिक, बुद्धिमान, बुद्धिजीवी राशि है।


क्योकि तृतीय भाव रेल बस इत्यादि से छोटी यात्राओं, सन्देश, पत्र, सूचना, टेलीफोन इत्यादि का सूचक है सो इस राशि का सूचना-संचार पर पूर्ण अधिकार है। सूचना संचार वाह्य जगत का कार्य है अतः यह राशि पूरी तरह बर्हिमुखी, अतिक्रियाशील तीक्ष्ण-बुद्धि है। यह अनेकताप्रिय, ग्रहणशील व स्वच्छेचारी है। इस राशि से प्रभावित व्यक्ति भाव को निरन्तर परिवर्तन चाहिये, एकरसता से यह ऊब जाते है बौद्धिक कार्यो को यह पूर्ण ध्यान से करने में रूचिशील है। नये स्थान, नयी वस्तुयें, नयी चीजें इन्हें विषेश आकर्षित करती है। तात्पर्य यह कि दशमभाव में यह राशि होने या दशमभाव से संबध होने पर कार्य व्यवसाय बदलने, कई कार्य एक साथ होने की विपुल संभावना रहती है। क्योंकि इस राशि को एकरसता पंसद नही है।


बौद्धिक समस्यायें हल करने की इस राशि की योग्यता व रूचि के कारण, आधुनिक युग में सूचना-तकनीक, कम्प्यूटर, साफटवेयर आदि के क्षेत्र इस राशि के बहुत प्रिय व अनुकूल क्षेत्र है।


दशमभाव या लग्न से मिथुन राशि का संबध रहने पर बौद्धिक, कम शारीरिक श्रम वाले कार्य व्यवसाय रहते है। इंजीनियर, र्क्लक, वकील, डाकविभाग या टेलीफोन विभाग में कार्य, रेलविभाग के कार्य कभी-कभी यात्रा मार्केटिंग जैसे कार्य रहते है।


कर्क - राशि- गुण व् स्वभाव


कर्क राशि- यह राशि नैसर्गिक कुण्डली के चतुर्थ स्थान में है। नैसर्गिक रूप से यह स्थान मातृस्थान, सुखस्थान कहा जाता है। चतुर्थभाव अंर्तमन और आत्मा का स्थान है। चतुर्थभाव व कर्क राशि से जातक की मानसिक प्रवृत्तियों का संचालन होता है। चतुर्थ भाव में केतु कपटी मन बुद्धि देता है, ऐसे जातकों को समझना दुष्कर है।


कर्क राशि का स्वामी चन्द...्र होता है, चन्द्र मन का स्वामी कहा जाता है। यह चर राशि है। जलतत्व है। गुरू कर्क राशि में उच्च का होता है। मंगल की यह नीचराशि है। बुध कर्क में बली होता है। राहु की यह मूलत्रिकोण राशि है। कर्क राशि अंर्तमुखी, अतिभावुक अतिसंवेदनशील राशि है। स्थिरता की बहुत कमी रहती है। भावनाओं में जलप्रवाह की तरह तीव्रता रहती है, जिन्हे पूरी तरह क्रियान्वित करना असम्भव नहीं वो कठिन अवश्य होता है।


बहुत प्रबल कल्पनाशक्ति इस राशि की एक अनुपम विषेशता है। परन्तु कल्पना और क्रियाशीलता के इस प्रवाह को बहुधा शारीरिक क्षमतायें निरूद्ध करती है। शारीरिक रूप से कर्क राशि से प्रभावित जातक स्थूल शरीर व कुछ आलसी रहते है। वैसे अपने वातावरण पर यह राशि अपनी क्रियाशील कल्पना का प्रभाव छोड़ ही देती है।


कर्क राशि के स्वामित्व वाले भाव पर विचार करते समय चन्द्र तिथि को अवश्य सर्वप्रथम देखना चाहिये। चन्द्र बली हो तो भाव का अधिक उत्तम फल मिलता है, क्षीण हो तो फल बाधित रहता है।


शरीर के अंगों में हृदय पर इस राशि का अधिकार है। कर्क राशि व चतुर्थ भाव से, माता, सुख, विद्या, बेसिक शिक्षा, गृह, वाहन, भूमि भवन का विचार किया जाता है।


कर्क राशि का जल ,जलीय पदार्थ, दूध, चावल सफेद वस्तु बाग-बगीचे, फल चॉदी, नाव, कुऑ, बोरिंग , डेयरी, डेयरी उत्पाद आदि पर अधिकार है।


अधुनिक सन्दर्भ में रेफिरजिरेशन, ठंडे पेय, पानी की पैकिंग, जलसंस्थान पानी की सफाई के कार्य, पुष्प् उत्पादन चॉदी, मोती के आभूषण, मछलीपालन इस राशि के क्षेत्र में आते है।


कर्क व चतुर्थभाव को जनता, जनसम्पर्क इत्यादि से जोड़ा जाता है। इस राशि के लिये जनसम्पर्क का कार्य बहुत ही अनुकूल है तथा कर्क राशि इसे बहुते ही प्रभावशाली ढ़ग से सम्पन्न करती है।


कर्क राशि- भाव को अनुकूल रहने वाले अन्य कार्य निम्नलिखित है-


नाविक, नेवी, मर्चेन्टनेवी, आयात निर्यात रेस्टोरेन्ट (मंगल से संबध होने पर) पुरातत्ववेक्ता प्रकाशक, दूध उत्पादक या व्यापारी, अन्न के व्यापारी।


अन्य ग्रहों से संबध करने पर कुछ अन्य कार्य व्यवसाय भी रहते है जैसे, गुरू से संबध करने पर शिक्षक, मंगल से सबंध होने पर नर्स, बुध से सबंध करने पर लेखन, कम्प्यूटर क्षेत्र, शुक्र के संबध करने पर संगीत। नवम् या दशमभाव में यह राशि होने पर प्रापर्टी डीलर जैसे कार्य भी पाये गये है।

Shanker Adawal

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